Recent Blogs

Blogs View Job Hindi Preparation Job English Preparation
Article 79 of the Indian Constitution
jp Singh 2025-07-01 10:29:43
searchkre.com@gmail.com / 8392828781

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 79

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 79
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 79: संसद का गठन
अनुच्छेद 79 भारतीय संविधान के भाग V (संघ) के तहत आता है और यह भारत की संसद के गठन को परिभाषित करता है। यह अनुच्छेद भारत की संसदीय शासन प्रणाली में संसद की संरचना को स्थापित करता है, जो देश की सर्वोच्च विधायी संस्था है।
अनुच्छेद 79 के अनुसार
भारत में एक संसद होगी, जो निम्नलिखित तीन भागों से मिलकर बनेगी
राष्ट्रपति (President of India)
राज्यसभा (Council of States)
लोकसभा (House of the People)
अनुच्छेद 79 की मुख्य विशेषताएं
द्विसदनीय विधायिका: अनुच्छेद 79 भारत में एक द्विसदनीय विधायिका (Bicameral Legislature) की स्थापना करता है, जिसमें राज्यसभा (ऊपरी सदन) और लोकसभा (निचला सदन) शामिल हैं। यह भारत के संघीय ढांचे को दर्शाता है, जहां राज्यसभा राज्यों का प्रतिनिधित्व करती है, और लोकसभा जनता का प्रतिनिधित्व करती है।
राष्ट्रपति की भूमिका: राष्ट्रपति संसद का एक अभिन्न हिस्सा है, यद्यपि वह न तो किसी सदन का सदस्य होता है और न ही वह संसद की बैठकों में भाग लेता है। उनकी भूमिका मुख्य रूप से विधायी प्रक्रिया में औपचारिक होती है, जैसे विधेयकों को मंजूरी देना (अनुच्छेद 111) और संसद को बुलाना या सत्रावसान करना (अनुच्छेद 85)।
संघीय और लोकतांत्रिक संतुलन: अनुच्छेद 79 का प्रावधान भारत के संघीय ढांचे में केंद्र और राज्यों के बीच संतुलन को बनाए रखता है, क्योंकि राज्यसभा में राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों का प्रतिनिधित्व होता है, जबकि लोकसभा में जनता का प्रत्यक्ष प्रतिनिधित्व होता है।
संसद की संप्रभुता: संसद भारत की सर्वोच्च विधायी संस्था है, और अनुच्छेद 79 इसकी संरचना को स्थापित करके इसकी संप्रभुता को रेखांकित करता है।
संबंधित महत्वपूर्ण मुकदमे
इंदु नेहरू बनाम भारत संघ (1978): पृष्ठभूमि: इस मामले में संसद की संरचना और उसकी विधायी शक्तियों पर विचार किया गया, खासकर 42वें संविधान संशोधन के संदर्भ में। नर्णय: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 79 के तहत संसद की संरचना भारत की संसदीय शासन प्रणाली का आधार है, और यह संवैधानिक ढांचे के भीतर कार्य करती है। संसद की शक्तियां संविधान की मूल संरचना के अधीन है प्रभाव: इसने अनुच्छेद 79 के तहत संसद की संरचना की संवैधानिक स्थिति को रेखांकित किया।
केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973): पृष्ठभूमि: यह ऐतिहासिक मामला संविधान की मूल संरचना सिद्धांत से संबंधित था, जिसमें संसद की शक्तियों पर विचार किया गया।
निर्णय: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 79 के तहत गठित संसद की विधायी शक्तियां असीमित नहीं हैं और संविधान की मूल संरचना का उल्लंघन नहीं कर सकतीं। संसद का गठन और उसकी संरचना संवैधानिक ढांचे का हिस्सा है।
प्रभाव: इसने संसद की शक्तियों की सीमाओं को स्पष्ट किया और अनुच्छेद 79 की संवैधानिक भूमिका को मजबूत किया।
रामेश्वर प्रसाद बनाम भारत संघ (2006): पृष्ठभूमि: इस मामले में बिहार विधानसभा के विघटन और संसद की भूमिका पर विचार किया गया, जो अप्रत्यक्ष रूप से अनुच्छेद 79 से संबंधित था।
निर्णय: सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया कि अनुच्छेद 79 के तहत संसद की संरचना और उसकी कार्यवाही संवैधानिक प्रावधानों के अधीन है। राष्ट्रपति की संसद को विघटित करने की शक्ति (अनुच्छेद 85) भी संवैधानिक सीमाओं के भीतर होनी चाहिए।
प्रभाव: इसने संसद की संरचना और उसकी कार्यवाही की जवाबदेही को रेखांकित किया।
र्णय: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 79 के तहत गठित संसद की शक्तियां संविधान की मूल संरचना, विशेष रूप से न्यायपालिका की स्वतंत्रता, के अधीन हैं।
प्रभाव: इसने संसद की संरचना और शक्तियों की संवैधानिक सीमाओं को और स्पष्ट किया।
Conclusion
Thanks For Read
jp Singh searchkre.com@gmail.com 8392828781

Our Services

Scholarship Information

Add Blogging

Course Category

Add Blogs

Coaching Information

Add Blogs

Loan Offer

Add Blogging

Add Blogging

Add Blogging

Our Course

Add Blogging

Add Blogging

Hindi Preparation

English Preparation

SearchKre Course

SearchKre Services

SearchKre Course

SearchKre Scholarship

SearchKre Coaching

Loan Offer