New Labour Code in India – A Step Towards Stability
jpsingh
2025-11-22 12:40:08
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नया श्रमकानून लागू: स्थिरता की ओर एक कदम
भारत में श्रमिकों और उद्योगों के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में श्रम कानूनों में बड़े बदलाव किए हैं। इन बदलावों का उद्देश्य कर्मचारियों को सामाजिक सुरक्षा देना, उद्योगों को अधिक लचीला माहौल प्रदान करना और रोजगार सृजन को बढ़ावा देना है। नया श्रमकानून (Labour Codes) इसी दिशा में उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
1. नया श्रमकानून क्यों जरूरी था?
भारत में पहले 40 से अधिक पुराने श्रम कानून लागू थे, जिनमें कई भ्रमित करने वाले प्रावधान और दोहराव शामिल थे।
भारत में पहले 40 से अधिक पुराने श्रम कानून लागू थे, जिनमें कई भ्रमित करने वाले प्रावधान और दोहराव शामिल थे। नए और पुराने उद्योगों को पालन में कठिनाई, औद्योगिक विवादों के अधिक मामले, श्रमिकों के अधिकारों को लेकर असमानता
2. नए श्रम कोड (Labour Codes) कौनकौन से हैं?
(1) वेज कोड (Code on Wages)
न्यूनतम वेतन तय, समय पर वेतन का भुगतान, वेतन में पारदर्शिता
(2) सामाजिक सुरक्षा कोड (Social Security Code)
EPFO, ESIC, ग्रेच्यूटी, मातृत्व लाभ, गिग व प्लेटफ़ॉर्म वर्कर्स भी शामिल
(3) औद्योगिक संबंध कोड (Industrial Relations Code)
हड़ताल, छंटनी और भर्ती के नियम सरल उद्योगों को लचीलापन
(4) व्यावसायिक सुरक्षा एवं स्वास्थ्य कोड (OSH Code)
सुरक्षित कार्यस्थल, महिला कर्मचारियों के लिए नाइट शिफ्ट सुरक्षा, श्रमिक स्वास्थ्य और सुविधाएं
3. इससे श्रमिकों को क्या लाभ होंगे?
निश्चित और समय पर वेतन, सभी को सामाजिक सुरक्षा (EPF, ESI), काम के घंटे और ओवरटाइम के स्पष्ट नियम, काम की जगह पर सुरक्षा और स्वास्थ्य की गारंटी, गिग वर्कर्स और फ्रीलांसर भी सुरक्षित दायरे में
4. उद्योगों के लिए फायदे
कई कानूनों का एकीकरण → कम कागज़ी कार्य, कर्मचारियों की भर्ती और छंटनी में साफ़ नियम, निवेश बढ़ने की संभावनाएं, औद्योगिक विवादों में कमी
5. क्या नई व्यवस्था स्थिरता ला पाएगी?
नई श्रम संहिताएं श्रमिकों और उद्योग दोनों के लिए नई दिशा तय कर रही हैं। श्रमिकों को सुरक्षा और अधिकार, उद्योगों को लचीलापन और स्पष्टता, और देश को निवेश तथा नए रोजगार का मार्ग मिलता है।
6. नए श्रम कानून से जुड़े प्रमुख परिवर्तन
(1) काम के घंटे (Working Hours)
काम के घंटे प्रतिदिन 8 से 12 तक बढ़ाए जा सकते हैं, बशर्ते सप्ताह में 48 घंटे से अधिक न हों। 4दिवसीय वर्किंग वीक की अनुमति, यदि कर्मचारी सहमत हों। ओवरटाइम की स्पष्ट व्यवस्था।
(2) छुट्टियों के नए नियम
वार्षिक अवकाश की गणना नया कर्मचारी भी जल्दी प्राप्त कर सकता है। काम की शर्तों के आधार पर छुट्टियों में सुधार।
(3) महिला कर्मचारियों के लिए विशेष प्रावधान
महिला कर्मचारियाँ नाइट शिफ्ट में काम कर सकती हैं, लेकिन सुरक्षा, परिवहन और सभी आवश्यक सुविधाओं के साथ। मातृत्व लाभ प्रावधान हुए मजबूत।
7. गिग और प्लेटफ़ॉर्म वर्कर्स की बड़ी जीत
भारत में लाखों गिग वर्कर्स (जैसे स्विगी, जोमैटो, ओला, उबर ड्राइवर, फ्रीलांसर, डिजिटल क्रिएटर्स) मौजूद हैं। पहली बार इन्हें शामिल किया गया है
सामाजिक सुरक्षा लाभ :- बीमा कवर, भविष्य निधि जैसी योजनाओं का दायरा, श्रमिक कल्याण फंड
8. छोटे उद्योगों पर प्रभाव
छोटे और मध्यम स्तर के उद्योग (MSME) भारतीय रोजगार व्यवस्था की रीढ़ हैं।
नए कानून से MSME सेक्टर को लाभ: अनुपालन प्रक्रिया सरल, फॉर्म और रिपोर्टिंग में कमी, विवाद निपटान तंत्र तेज, नई यूनिट स्थापित करने में आसानी
9. Trade Unions और श्रमिक संगठनों की राय
जहां सरकार और उद्योग जगत इस कानून को सुधारात्मक कदम बता रहे हैं, वहीं कई ट्रेड यूनियनें कुछ चिंताएँ भी उठा रही हैं:
अधिक कार्यघंटे का दबाव, छंटनी और ठेका प्रणाली में बढ़ोतरी की संभावना, यूनियन की गतिविधियों में कठिनाई
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